लखनऊ, 20 अक्टूबर 2024: प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित वास्तुकला एवं योजना संकाय,डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के टैगोर मार्ग परिसर में लखनऊ विकास प्राधिकरण के सहयोग से हो रहे आठ दिवसीय समकालीन मूर्तिकला शिविर के सातवें दिन सभी समकालीन मूर्तिकारों ने अपने अपने मूर्तिशिल्प को अंतिम रूप देकर शिविर को पूर्ण किया। प्रकृति विषय पर सभी कलाकार अपने भावनाओं को बखूबी पत्थर को तराश कर सुंदर सुंदर समकालीन मूर्तिशिल्प सृजित किया है।
मूर्तिकला शिविर में पटना, बिहार से आये पंकज कुमार ने बताया कि उन्होंने अपनी कला स्नातक की पढ़ाई पटना विश्वविद्यालय से और स्नातकोत्तर की पढ़ाई आगरा विश्वविद्यालय से पूरी की। वह एक स्वतंत्र कलाकार के रूप में काम कर रहे हैं। पिछले दो वर्षों से वह लोहे और कांस्य स्क्रैप पर काम कर रहे हैं, उनके काम विभिन्न शहरों जैसे- दिल्ली (राजघाट) में (वसुधव कुटुंबकम्) बरेली, मुरादाबाद, जयपुर और हरिद्वार में प्रदर्शित किए गए हैं, उन्होंने ज्यादातर प्रीब्लिक किया है। उनकी मूर्तियों का आकार न्यूनतम 15 फीट और अधिकतम 30 फीट है। यहां शिविर में वह प्रकृति के अदृश्य हिस्से का चित्रण करना चाहते हैं। उनकी मूर्तिकला में दो आयाम हैं। एक सपाट और दूसरा नक्काशीदार रेखाएं। नक्काशीदार जीवन के माध्यम से वह प्रकृति के दृश्य भाग को दिखाना चाहते हैं और सपाट ठोस स्थान प्रकृति के अदृश्य भाग को दिखाना चाहते हैं।